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1. अनोखा रिश्ता
घर में गाने बजाने की आवाज आ रही है सभी लोग खिलखिला रहे सब बहुत खुश हैं घर में बहुत दिनों बाद किसी लड़के की शादी की शहनाई बजने वाली है अभी तक चार ल़डकियों की शादी ही हुई और उनकी विदाई पर अब सब खुश हैं कि घर मे बहु आयेगी l रवि को हल्दी लग रहा उसकी दूर के रिश्ते की भाभियों ने मज़ाक करना भी शुरू कर दिया है बहने, माँ, भाभी सब हल्दी लगा रहे है उसके माँ पिताजी बहुत खुश है l रश्म अदायगी के बाद अगले दिन बारात ले जाने की तैयारी होने लगी सभी अपने -अपने काम में व्यस्त थे l उधर रवि भी छत पर जाता है वहॉं अकेले में फोन लगाता है उधर से हैलो की आवाज़ आती है आवाज़ किसी लड़की की
रवि "हैलो प्रिया तुम कैसी हो ?"
प्रिया "मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो ?"
रवि "प्रिया आज मेरे यहां हल्दी है..."
प्रिया " हां मुझे पता है,मैं भी...."
प्रिया " मैं तुमसे अभी भी शादी करने को तैयार हूं, तुम जहां कहो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूं, चलो कहीं हम सबसे दूर जाके शादी कर लेते हैं... तुम सुन रही हो ना ?"
रवि ने अपने अंदर चल रहे द्वंद को प्रिया से कहा उसकी धड़कने तेज समुद्री लहरों की भाँति गोते मार रहीं हैं
प्रिया "हां मैं सुन रही हूं " सिसकते आवाज़ को सम्हाल लेती है
कहना चाहती है कि चाहती तो मै भी पर...
रवि "प्रिया आज मेरे पास आखिरी मौका है कल मेरी शादी किसी और से हो जाएगी फिर मै कुछ नहीं कर पाउँगा, प्रिया कुछ बोलो तुम मै क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ?"
प्रिया अपने को सम्हालती हुई उसके दर्द में सराबोर डुबकी लगाती है पर अपने अंतर्द्वंद से मजबूती के साथ लड़ते हुए
प्रिया "तुम मुझे समझो मैं ऐसा नहीं कर सकती इससे मेरे और तुम्हारे परिवार के लोगो की बदनामी के साथ समाज के तिरस्कार के अलावा कुछ न मिलेगा l समाज की नजरों में हमारा रिश्ता कुछ और है भविष्य में हमारी आने वाली... भी हमे माफ़ न करेगी l" सभी बातों को एक साँस में प्रिया ने कहा और अपने अंतर्मन में चल रही भावनाओं छुपा कर कहीं किसी मन के कोने मे रख लिया जिसे किसी से कहा न जा सके l
प्रिया "तुम अपना वैवाहिक जीवन अच्छे से व्यतित करना शुभ कामनाएँ मेरी तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगी..." फोन कट गया
रवि की शादी रीमा से छह माह पहले तय हुई थी, रवि अपने माँ बाप का अकेला बेटा था उसकी चार बहने उससे बड़ी सभी विवाहिता है l आज रीमा का भी हल्दी है उसकी शादी रवि से हो रही वो रवि से मिली तो न थी कभी पर शादी तय होने के बाद फोन पर उनकी बातें होती थीं दोनों एक दूसरे को देखे न थे पर बातें करते थे तो उन्हें आमने सामने होने का एहसास होता l रवि अकेला पुत्र होने के नाते पिता शिक्षा विभाग में कार्यरत थे तो उसके रिश्ते के लिए बहुत लोग प्राय आते ही थे पर रवि के मन में कोई और ही था तो वह उन्हें किसी बहाने से मना कर देता पर खुदा को कुछ और ही मंजूर था तो उस मंजूरी मे रीमा का साथ था और पिता की इच्छा का मान करते हुए हामी भर दी l पिताजी रीमा को देखने के लिए दूसरे शहर गये ,रीमा का परिवार वहीं रहता था रीमा साधारण परिवार की साधारण लड़की बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी पर उसके अंदर डर जो आम तौर पर ल़डकियों में होता है वह बरकरार था रश्म की अदायगी पूरी हुई और विवाह का तारीख तय हो गयी तभी से रीमा और रवि की बातें भी होने लगी विवाह से पहले रवि रीमा से फोन पर बात कर रहा था तो बात बात में उसने रीमा से कहा "रीमा मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं ?"
रीमा " हां कहो..."
रवि "मैं प्रिया नाम की लकड़ी से बात करता था वो मुझे पसंद थी l"
रीमा "तो "
रवि "मैं तुमसे कुछ छुपा कर शादी नहीं करना चाहता मेरे मन मे था तो मैनें बता दिया l"
रीमा को ये सुन के दुःख हुआ पर वो शब्दों में कह नहीं सकी न अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकीं
आगे भी उनकी बातें होती रहीं और आज उसकी बारात आने की तैयारी हो रहीं कहीं सजावट कहीं स्वागत की इत्यादि तैयारी चल रही जो कन्या पक्ष के यहां होता है l
वैवाहिक कार्यक्रम पूरे होने के साथ नए जीवन नये लोग के अनुसार रहने ढ़लने की नयी रीति का आरंभ भी उसके जीवन मे आया नयी बहु का स्वागत कुछ कमियों को बताते हुए शुरु हुआ एक नया अध्याय नया सफर
रवि पूरी ईमानदारी के साथ रीमा के साथ नए सफर में अपने और उसके जीवन का शुरुआत किया दोनों ही खुश थे कुछ दिनों बाद बात बात में ही उसने प्रिया के मैसेज दिखाया जो कभी प्रिया ने उसे भेजा था और अपने और प्रिया के कुछ लम्हों का वर्णन जो उसके किसी दोस्त द्वारा कागज़ पर काल्पनिक रूप मे उकेरा गया था दिखाया l
इस बात पर रीमा कुछ चिढ़ भी गयी और कुछ समय के लिए उसके मन में ईर्ष्या ने संचारी भाव का स्थान लिया फिर अपने को उसने और रवि ने भी समझाया कि ये सारी बातें पहले की हैं जब उसके जीवन मे रीमा की जगह प्रिया थी l
उस कागज पर पर जो लिखा था "वो रवि के ममेरे भाई के शादी थी वो जा रहा था स्टेशन पर ट्रेन के लिए खड़ा था एक ट्रेन रुकी उसमे वो चढ़ा जैसे ही सीट पर बैठने गया उसमे प्रिया भी थी अचानक देख के वो अचंभित अपने सपने पूरे होते देख वह पुलकित हो उठा पर उससे कुछ बात ना हो पायी उसके मम्मी पापा भी थे उन लोगों ने बैठने को कहा और उनसे उसके बातें हुई वो भी उसी शादी में शामिल होने जा रहे थे जिसमें रवि l
शादी के घर मे दोनो एक दूसरे को देखते बाते करना चाहते पर हो ना पाती थीं कोई ना कोई सदस्य रहता था एक दिन सभी लोग दुल्हन आने के बाद कार्यक्रम में व्यस्त थे तो प्रिया और रवि बगल के खाली मकान में चले गए वहां वे एक दूसरे के साथ ही बैठे फिर बात भी करने लगे बाते इधर उधर की ही थी वो एक दूसरे के साथ समय गुजारना चाहते सो वो मौका उन्हें आज मिला अचानक ही किसी के आने के आहट से दोनों चुप हो गये 'अरे तुम यहाँ क्या कर रहे ' प्रिया के चचेरे भाई की आवाज़ दोनों चुपके से चले गए वहॉं से "
प्रिया रवि के चचेरे मामाजी की लकड़ी थी वो बहुत शांत उसके विचार व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था सभी उसकी तारीफ करते वह सबका ख्याल रखती बचपन मे रवि जब गर्मी की छुट्टियों में मामा के घर जाता तो रवि और प्रिया तथा घर अन्य दूसरे बच्चे एक साथ खेलते फिर इनके अंतर्मन में एक अलग विचार का पैदावार हुआ और इसमे वो जकड़े चले गए उम्र के उस पड़ाव जिसमें ये सारी विशेषता पायी जाती है हालाकि शुरुआत प्रिया ने ही किया था पर दोनों के रिश्ते में एक मर्यादा थी जो किसी अपरिहार्य सीमा को लांघकर पार नही किए थे l
प्रिया रवि का बहुत ख्याल रखती सभी से आखें चुरा के उसके जरूरत की वस्तुए उपलब्ध कराती जब वो बात करते तो सबके बीच मे ही रहते थे l रवि अपने शादी के बाद किसी कार्यक्रम में जाता तो प्रिया से मिलता वही उनका समान्य बात चित ही होती प्रिया और रीमा की भी फोन पर बात कभी कभी हो जाती l फिर कुछ सालों बाद प्रिया का भी विवाह एक संपन्न घर मे हुआ एक अच्छे पोस्ट पर लड़का था उनका भी वैवाहिक जीवन सुखमय हो गया इधर रवि और रीमा को भी कई वर्षो बाद एक सन्तान हुआ दोनों का जीवन व्यापार सब ठीक चल रहा था उधर प्रिया को भी एक बेटा हुआ सब ठीक था अचानक पता चला कि प्रिया को ब्रेस्ट कैंसर है उसका इलाज चला कुछ समय के लिए वो ठीक हो गयी डॉ ने बताया कि उसे हर महीने रूटीन चेकअप के लिए आना होगा प्रिया हर महिने जाती l प्रिया के पति का ट्रांसफर किसी अन्य देश मे हो गया और वो पति बेटे के साथ ही वहीं चली गई पर हर महिने वो चेकअप के लिए आती रहती अचानक ही पूरे विश्व में एक भयंकर महामारी ने जन्म ले लिया और उसमे ना जाने कितने लोग उसकी चपेट में आये आवागमन पर सरकारों ने रोक लगा दिया कि खतरा ज्यादा ना बढ़े पर कोई नियंत्रण काम नहीं किया जिन्हें जाना था वो चले गए उधर प्रिया भी कई महीनों से चेकअप के लिए आयी नहीं थी और उसका कैंसर लास्ट स्टेज पर पहुंच गया उस महामारी में कोई डॉ भी जल्दी नहीं मिलता और वो अपने साथ प्रिया को काल के गाल में समा लिया l इसका समाचार रवि को मिला रवि ने रीमा को बताया दोनों ही आवक रह गये रवि की आँखों में प्रिया के लिए आंसू रीमा को भी बहुत कष्ट था रवि के आखों मे पंद्रह वर्षों बाद भी आंसू देख के रीमा को उनके अनोखे रिश्ते का एहसास हुआ और उसकी आँखे भी भर आयी और वो सोचती रहीं जाने अनजाने इस रिश्ते के बीच मे वो आ गयी थी तभी रवि ने रीमा को अपने और प्रिया के बीच हुई हल्दी के दिन की बातें भी बतायी l रीमा उनके रिश्ते के बारे मे सोचती रही और उसकी आँखों से अनजाने अश्रु धारा बह निकले जो उस समय थमने का नाम न ले रहे थे...l