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1.मैं इंतजार करूंगा !
मैं और तुम गंगा के घाट पर बैठ के निहारेंगे हजारों साल पुरानी संस्कृति को
जो समय के साथ अपने आप को कमोबेश बदल चुकी है
हम महसूस करेंगे अपने पुरखों के होने को, इन घाट की सीढ़ियों पर बैठकर!
गंगा की लहरों से उठने वाली ठंडक भरी हवा में, तुम्हारे हाथ मेरे गर्म हाथों पर होंगे।
और फिर चालू होंगी काशी की सांस्कृतिक परम्परा की तरह कभी न खत्म होने वाली बातें ।
अस्सी घाट जो जीवंत प्रेम का उदाहरण है,
इस काल्पनिक व मिथकीय घाट से शुरू होने वाली हम लोगों की यात्रा मणिकर्णिका पर यथार्थ में रूपांतरित होकर समाप्त होगी
हम लोगों के पास समय का अभाव नहीं होगा
अस्सी से मणिकर्णिका पहुंचने में काफी समय लगेगा...
मैं इंतजार करूंगा तुम्हारा !
2. पवित्रता !
अगर होना चाहते हो पवित्र,तो मत करो कोई भी धार्मिक कार्य।
क्योंकि धार्मिक होकर स्वयं को पवित्र करवाने की प्रक्रिया अमानवीय है ।
पवित्र विचार कभी अमानवीय नहीं हो सकते !
अगर होना चाहते हो वास्तव में पवित्र !
तो करो एक स्त्री से प्रेम,
क्योंकि प्रेम इस पृथ्वी की सबसे पवित्र अवधारणा है !